महान स्वतन्त्रा सेनानी ,समाजसेवी सोशलिष्ट के पुरोधा बाबू भपेंद्र नारायण मंडल का जन्म 1 फरवरी 1904 ई.में हुआ था इनके पिता का नाम जयनारायण मंडल था जो मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के रानीपट्टी गाँव के एक सम्पन्न जमींदार थे इनकी माता दानावती इन्हें प्यार से मनसुख कहा करती थी इनकी शिक्षा -दीक्षा गाँव के ही प्राथमिक विधालय में हुई प्राथमिक शिक्षा के बाद उनका दाखिला सीरीज इंस्टिट्यूट मधेपुरा हुआ था जो आज शिवनन्दन प्रसाद मंडल उच्चमाध्यमिक विधालय मधेपुरा के नाम से जाना जाता हैं|
जब 1920 ई.में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आंदोलन में भाग लिए इसी कारन उन्हें इंस्टिट्यूट से निष्काषित कर दिया गया स्कूल के प्रधानाध्यपक उमेशचंद्र भौमिक भूपेंद्र बाबू के साथ निष्काषित क्र दिया गया अन्य छात्रों को पुनः पढ़ने की अनुमति तो दे दी लेकिन भूपेंद्र बाबू को विधालय छोड़ो आंदोलन का नेता मानकर उन्हें पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई| अंततः भूपेंद्र बाबू ने जिला स्कूल मुंगेर से प्राइवेट छात्र के रूप में मैट्रिक की परीक्षा उत्तरीन की इंटर और बी.ए की परीक्षा उन्होंने टी.न जे भागलपुर से पास की पटना लॉ कॉलेज से L.L.B की परीक्षा पास करने के बाद 1930 ई.में मधेपुरा कोर्ट में उन्होंने वकालत करना शुरू की|
लेकिन 1937 ई.में अम्बेडकर की जस्टिस पार्टी में शामिल होकर वर्ष 1942 ई.में भारत छोड़ो आंदोलन में हो गए और उसी आंदोलन में लोहिया जी से इनका जुड़ाव हो गया उसके बाद दोनों ने मिलकर देश की अस्थिर राजनितिक को एक स्थिर दिशा दी देश स्वतंत्र होने के बाद 1952 ई.में भूपेंद्र प्रथम विधानसभा चुनाव लड़े और मात्र 666 मतों से पराजित होए गए कांग्रेस के बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (बी पी मंडल) से 1957 ई.में भूपेंद्र बाबू अपनी पार्टी सोशलिस्ट से एक मात्र विधायक चुने गए थे 1962 मैं सहरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार ललित नारायण मिश्र को उन्होंने हराया था|
इसके बाद राज्यसभा के सदस्य भी बने 1967 ई.में जब बिहार में गौर कांग्रेस सरकार बनी तो उनको सामने कैबनेट मंत्री का प्रस्ताव रखा गया लेकिन उनकी वरीयता,इमानदारी,और कार्यों वजह से उन्होंने ने मंत्री बनने से इंकार कर दिया भूपेंद्र बाबू कोई भी ऐसी राजनीती का तिजारत नहीं करना चाहते थे जो बाद में राजनितिक दलों और नेताओं के लिए नासूर बन जाय| भूपेंद्र बाबू का निधन 29 मई 1975 ई.को गया उन्होंने अपना पूरा जीवन समाजवाद की जड़े मजबूत करने में लगा दिया| ऐसे महापुरष को बार बार नमन
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